Aug 9, 2016 · कविता
जय जवान जय किसान
राष्ट्र कहे सुन ओ जवान
जय जवान जय किसान
हैं हिम से शीतल सूर्य समान
मातृभूमि के तुम अभिमान
कर्मठता ‘बा’और ‘भावे’ की
तुमसे अर्थ ‘लाला’ बलिदान
तिलक, सुभाष,आज़ाद की भूमि
इसमें जन्मे भगत सिंह महान
द्रोही भक्षक सीमा रक्षक
तुम सागर पर्वत सम्मान
खाई लहरें मरुभुभुमि पठार
चक्र तिरंगा अपनी शान
शांति प्रणेता शौर्यवीर तुम
राष्ट्र करे तुम पर अभिमान
सत्य अहिंसा सन्देश सदा
कायर नहीं है हिदुस्तान
हे मातृभूमि तुझ पर निसार
हे देवभूमि तुझको प्रणाम
अमर रहे जयहिंद सदा ही
जाते हैं तो जाएँ प्राण
जयहिंद
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Dr.pratibha d/ sri vedprakash D.o.b.8june 1977,aliganj,etah,u.p. M.A.geo.Socio. Ph.d. geography.पिता से काव्य रूचि विरासत में प्राप्त...

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