Aug 25, 2017 · कविता
छोड़े अंधविश्वास
एक न्यायाधीश प्रकरण सुलझा गया,
आस्था के सामने विवेक मुरझा गया।
दर्जनों लोग मारे गए कितना है नुकसान,
ऐंसे लोगों को क्यो मानते हो भगवान।
उन्होंने जो किया उसको खुद वो भरेगें,
अपराधियों के लिए हम आप क्यो मरेंगे।
इन्हें पालती पोषती हैं सरकारें,
चलो शांति बनाये मानवता ना हारे।
गीता और रामायण देंगें हमें ज्ञान,
कुछ नही दे सकते स्वघोषित भगवान।
परिवार देश के लिए जिये अपनाये विश्वास,
ना माने पाखंडियो को छोड़े अंधविश्वास।
रचनाकार- जितेंद्र दीक्षित
पडाव मंदिर साईंखेड़ा।

कविता मेरे लिये एक रिश्ता हैं जो मेरे और आप के दरमियाँ हैं। अपना दर्द...

You may also like: