
Jun 5, 2017 · गज़ल/गीतिका
चाय की प्याली कहे कुछ भेज दो अब चिट्ठियाँ
बून्द इक बारिश की देखो आज जो उतरी यहाँ
ख्वाहिशें दिल में उठी पूछे सनम तुम हो कहाँ
हो गए बेचैन दिन ये ख़्वाब भी तन्हा से हैं
मुस्कुराहट पर लगी है देख लो अब चुप्पियाँ
याद करके पल वो साथी जो गुजारे साथ में
रातरानी की महक गुम, रो रहा है आसमाँ
फूल, खुश्बू, कार्ड, चॉकी, स्कार्फ, दुपट्टा वो हरा
संग मेरे चल रहा यादों भरा हर कारवाँ
झाँकता खिड़की से देखो चाँद है तन्हा बहुत
चाय की प्याली कहे कुछ भेज दो अब चिट्ठियाँ
डाकिया बनकर है लाया चाँद आने की खबर
चाँदनी भी रात भर करती रही सरगोशियाँ
रुख गुलाबों के शरम से हो गए यूँ लाल क्यूँ
बाग से ये पूछ बैठी शबनमी हर पत्तियाँ
ना पता कब दिन हुआ ना रात का ही होश है
अब ‘अदिति’ बनने लगी है इक नई सी दासताँ
लोधी डॉ. आशा ‘अदिति’
बैतूल

मध्यप्रदेश में सहायक संचालक...आई आई टी रुड़की से पी एच डी...अपने आसपास जो देखती हूँ,...

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