
Feb 23, 2021 · मुक्तक
चाँद की रौशनी में
चाँद की रौशनी में
चाँद की रोशनी में देखा है, मैंने तुझको
एक चाँद और जमीं पर, नज़र आया मुझको
क्या होती है जन्नत, पता नहीं मुझको
तुझको पाया तो सब कुछ, मिल गया मुझको

मैं अनिल कुमार गुप्ता , शिक्षक के पद पर कार्यरत हूँ मुझे कवितायें लिखने ,...

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