
Apr 6, 2020 · कविता
घरों में कैद हैं
घरों में कैद हैं ।
दिलो में छेद है ।
हो रहा उसका,
सबको खेद है ।
प्रकृति को कर रुष्ट ।
स्वयं को किया नष्ट ।
मानव तू बड़ा स्वार्थी,
अब झेल रहा है कष्ट ।
समझ ले समय है अभी ।
लोभ मोह छोड़ सभी ।
चुन ले प्रेम की राह,
आएगी खुशियाँ तभी ।
।।।जेपीएल।।।

J P LOVEWANSHI, MA(HISTORY) ,MA (HINDI) & MSC (MATHS) , MA (POLITICAL SCIENCE) "कविता लिखना...

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