गुलाबों की तरह खिलना कहाँ आसान होता है
गुलाबों की तरह खिलना कहाँ आसान होता है
गले काँटों से मिल हँसना कहाँ आसान होता है
मिटा देते हैं ये खुद को लुटाने के लिए खुश्बू
ख़ुशी यूँ बाँट कर मिटना कहाँ आसान होता है
लोधी डॉ. आशा ‘अदिति’
बैतूल

लोधी डॉ. आशा 'अदिति'
68 Posts · 12k Views
मध्यप्रदेश में सहायक संचालक...आई आई टी रुड़की से पी एच डी...अपने आसपास जो देखती हूँ,...

You may also like: