
Jul 28, 2019 · गज़ल/गीतिका
. गीतिका.....कांवर का सच
******* कांवर का सच ******
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कांवर उठा कर वो , हरिद्वार गया है ।
बीमार मां को घर ,अकेला छोड़ गया है।।
वो ला रहा है कांधो पर ,उठाकर घना सा जल।
जो बूढ़े बाप को घर, रोता छोड़ गया है ।।
उसने कसम उठाई थी ,ना छूंगा नशा ।
अब भांग पीने को भी ,कैसे दौड़ गया है।।
कर्जा उठाकर उसने , कांवर उठाई है।
बीवी का मंगलसूत्र भी, जो तोड़ गया है।।
उसने कहा था क्या कभी, ऐसे मनाना तुम।
जिस नाम पर घर सब को ,रोता छोड़ गया है।।
यह आस्था का कौन सा, रूप है “सागर”!
अपनी खुशी को जो, मुंह सबसे मोड़ गया है।।
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अप्रकाशित रचना के मूल रचनाकार ….डॉ .नरेश “सागर”
————इंटरनेशनल बेस्टीज साहित्य अवार्ड 2019 से सम्मानित
9897907490……9149087291

Hello! i am naresh sagar. I am an international writer.I am write my poetry in...

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