ग़ज़ल(दिल की बातें)
ग़ज़ल(दिल की बातें)
जिनका प्यार पाने में हमको ज़माने लगे
बो अब नजरें मिला के मुस्कराने लगे
राज दिल का कभी जो छिपाते थे हमसे
बातें दिल की हमें बो बताने लगे
अपना बनाने को सोचा था जिनको
बो अपना हमें अब बनाने लगे
जिनको देखे बिना आँखे रहती थी प्यासी
बो अब नजरों से हमको पिलाने लगे
जब जब देखा उन्हें उनसे नजरें मिली
गीत हमसे खुद ब खुद बन जाने लगे
प्यार पाकर के जबसे प्यारी दुनिया रचाई
क्यों हम दुनिया को तब से भुलाने लगे
गीत ग़ज़ल जिसने भी मेरे देखे या सुने
तब से शायर बह हमको बताने लगे
हाल देखा मेरा तो दुनिया बाले ये बोले
मदन हमको तो दुनिया से बेगाने लगे
मदन मोहन सक्सेना

मदन मोहन सक्सेना
Shahjahanpur ( U.P)
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मदन मोहन सक्सेना पिता का नाम: श्री अम्बिका प्रसाद सक्सेना संपादन :1. भारतीय सांस्कृतिक समाज...

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