
Feb 23, 2021 · गज़ल/गीतिका
गर तुझे मुझसे मुहब्बत है सनम
गर तुझे मुझसे मुहब्बत है सनम
गर तुझे मुझसे मुहब्बत है सनम
फिर क्यों हो किसी बात का गम
तेरी मुहब्बत मेरी अमानत हो सनम
फिर क्यों हो किसी बात का गम
कायम रहे तेरी मुहब्बत का करम
फिर क्यों हो किसी बात का गम
क़ुबूल हो तुझे जो मेरी वफ़ा सनम
फिर क्यों हो किसी बात का गम
मेरे ख्यालों में तेरा बसर हो सनम
फिर क्यों हो किसी बात का गम
रोशन जो मेरी रातें हो जाएँ सनम
फिर क्यों हो किसी बात का गम
मेरी ख्वाहिशों पर जो हो खुदा का करम
फिर क्यों हो किसी बात का गम
तेरी बाहों का मुझे सहारा मिल जाए सनम
फिर क्यों हो किसी बात का गम
तेरे गम को जो अपना बना लें हम
फिर क्यों हो किसी बात का गम
मेरा हर लफ्ज़ ग़ज़ल हो जाए सनम
फिर क्यों हो किसी बात का गम
गर तुझे मुझसे मुहब्बत है सनम
फिर क्यों हो किसी बात का गम

मैं अनिल कुमार गुप्ता , शिक्षक के पद पर कार्यरत हूँ मुझे कवितायें लिखने ,...

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