
ख्वाबों की तासीर
ना हो तुम कोई हूर या परी, मुझे मालूम है.
ना ही तुम्हारी गुंथी हुई चोटी से शोख ज़ुल्फे उड़ा करती हैं.
तुम्हारी आवाज़ मे वो खनक भी नही..
कि मैं लैला और शीरी का तस्व्वुर करूं….
मगर मै बता दूं…………
मेरे सपनो की तस्वीर में..
इन सब बातो की कोई जरूरत भी नही….
तुम जैसी हो उसी तरह का एक चेहरा चाहिये….
मुझे अपने ख्वाबों की तासीर में…..
दीप…

Deep Dhamija
Jaipur
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