
खुशबु
फूलों से निकल कर खुशबु
कमरे मे आ रही थी
हल्की हल्की भीनी भीनी खुशबु
दिल को लुभा रही थी
कमरे का कोना कोना
महका रही थी
अन्दर जाती हुई हर सांस
शरीर के हर अंग को
आनन्दित कर रही थी
दिखाई न देने के बाद भी
अपने होने का आभास
करवा रही थी
उस रूह को जो दिखाई नही देती
अपनी तरह सबके दिलों मे
चुपके से उतर जाने का
हुनर सिखा रही थी ।।
राज विग

Working as an officer in a PSU. vigjeeva@hotmail.com

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