
Jun 11, 2016 · कविता
*खुद को जिसने जाना है*
खुद को जिसने जाना है !
खुदा को उसने जाना है !!
अपना सबको माना है !
फ़िर कोई नही बेगाना है !!
खुद को जिसने जाना है!
खुदा को उसने जाना है !!
लबों पर यही तराना है !
सब कुछ आना जाना है !!
दुनियाँ मुसाफ़िरखाना है
सांसों का कर्ज़ चुकाना है!!
खुद को जिसने जाना है !
खुदा को उसने जाना है !!
*धर्मेन्द्र अरोड़ा*

*काव्य-माँ शारदेय का वरदान * Awards: विभिन्न मंचों द्वारा सम्मानित

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