खिलें एक ही बाग में
खिलें एक ही बाग में , बेशक फूल तमाम ।
होता है हर फूल का ,लेकिन अलग मुकाम ।।
दिल मे जिस के पाप की, रही सुलगती आग ।
आए कोयल भी नजर, ….उसे हमेशा काग ।।
रमेश शर्मा.

RAMESH SHARMA
मुंबई
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दोहे की दो पंक्तियाँ, करती प्रखर प्रहार ! फीकी जिसके सामने, तलवारों की धार! !...

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