
Dec 20, 2020 · कविता
कोरोना
मनहरण घनाक्षरी – कोरोना
★★★★★★★★★★★
जग में कोरोना आया,
कैसे जादू टोना आया।
सबको ही रोना आया,
दुख भरा साल हैं।
★★★★★★★★★★
मिटने लगी है काया,
दवा नहीं बन पाया।
जैसे अधंकार छाया,
आज बुरा हाल हैं।
★★★★★★★★★★
लोग सभी डरते हैं,
उदिम भी करते हैं।
और कई मरते हैं,
फैल गया जाल हैं।
★★★★★★★★★★
मास्क भी लगाया करो,
नहीं कही जाया करो।
सबको बताया करो,
काल विकराल हैं।
★★★★★★★★★★
रचनाकार-डिजेन्द्र कुर्रे “कोहिनूर”
पीपरभावना,बलौदाबाजार(छ.ग.)
मो. 8120587822
This is a competition entry: "कोरोना" - काव्य प्रतियोगिता
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