
Dec 21, 2020 · कविता
'कोरोना' तुझे हाय लगेगी मेरी
मैं कई महीनों से कैद हूँ घर में
बस तेरे डर से
अनलाँक नही कर पा रहा हूँ खुद को
बस तेरे डर से
दूर रहना बस तू सदा ही कोरोने
मेरे प्यारे घर से
नही तो सुनले वर्ना
‘कोरोना’ तुझे हाय लगेगी मेरी
घमंड छोड़कर सच को देख
तूने किए हैं पाप अनेक
अपने अंजाम को पाएगा तू
एक दिन मिट्टी में मिल जाएगा तू
अब जो एक भी जीवन छीना तूने
तो कान खोलकर सुनले वर्ना
कोरोना’ तुझे हाय लगेगी मेरी
©हरिनारायण तनहा
सिंगरौली , मध्य प्रदेश
This is a competition entry: "कोरोना" - काव्य प्रतियोगिता
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नाम हरिनारायण साहू है और तनहा के तकल्लुस से लिखते हैं | कम्प्यूटर इंजीनियरींग में...


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