कैसे दरिंदे शहर में मेरे
गिराते हैं हर पल ये बढ़ने न दे
मेरे भय को मुझसे ये लड़ने न दे
है कैसे दरिंदे शहर में मेरे
परिंदो के पर काटे उड़ने न दे
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Gautam Jain
हैदराबाद
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ग़ज़ल , कविता , हाइकु , लघुकथा आदि लेखन प्रकाशित रचनाएं:--- काव्य संरचना, विवान काव्य...

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