कैसे चले रमेश
चलने से पहले बहुत, करना पडे विचार ।
सच्चाई के मार्ग पर ,मिलें हमे जब खार ।।
कदम कदम पर झूट ने,बना दिए परिवेश ।
सच्चाई की राह पर,…….कैसे चले रमेश ।।
रमेश शर्मा.

RAMESH SHARMA
मुंबई
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दोहे की दो पंक्तियाँ, करती प्रखर प्रहार ! फीकी जिसके सामने, तलवारों की धार! !...

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