Jan 13, 2021 · कविता
**कैसे चलाऊं अपना घर बार**
न कोई व्यापार, न ही मेरी पगार।
कैसे चलाऊं अपना घर बार।
मेरी कौन ?सुनेगा सरकार ।
मैं योग्यता धारी बेरोजगार।।
बापू ने मेरे मुझको खूब पढ़ाया।
मांगा जो जो वही दिलवाया।
मेरा पढ़ा लिखा होना,
अब तक तो कुछ काम न आया।
हां मेरी पढ़ाई के पीछे,
कर्जा अपने सिर जरूर चढ़ाया।
बताएं कोई मुझको समाधान।
मानूंगा मैं उसका आभार।
कैसे चलाऊं अपना घर बार।।
ललक तो बहुत है मेरी,
यह करूं वह करूं।
बिना पूंजी के कैसे,
बाजार में पांव धरूं।
कर्म करने से मैं न डरूं।
महंगाई की मार के कारण
पेट परिजन का कैसे भरूं।
गरीब असहाय हूं जग में,
मेरे यह सच्चे उदगार।।
कैसे चलाऊं अपना घर बार।।
राजेश व्यास अनुनय
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