May 11, 2017 · कविता
कुत्ते और बंदर की दोस्ती
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अनोखी चीजें सदा ही चौकाती,
कुछ चीजें तो अद्भुत हो जाती।
देखो कुत्ते और बंदर की दोस्ती,
है बड़ा अजूबा बड़ी अनोखी।
कभी बंदर कुत्ते को चिढ़ाता,
कभी प्यार से उसे दुलारता।
कभी कुत्ते का कान खिंचता,
कभी प्यार से बाल बिनता।
कभी कुत्ते पर सवारी करता,
कुत्ता भी खुशी से उसे घुमाता।
कभी एक-दूजे पे धौंस जमाता,
कभी गुत्थमगुत्था हो जाता।
काश इन्सानों में भी ये प्रेम होता,
सब झगड़ा-फसाद खत्म हो जाता।
एक वफादार घर का रखवाला,
एक भक्त प्रिय श्री राम दुलारा।
प्रेम दोनों का बड़ा ही निराला,
देखनेवाला हो जाये मतवाला।
बड़बस मुख से निकल ही आता,
प्रीत सीखो इन से सब यारा।
छल,कपट,ईर्ष्या, द्वेष, धोखा ना अंदर,
ये निरीह मूक प्राणी इंसानों से बेहतर।
किसी जंगली जानवरों की अपेक्षा,
दुष्ट, कपटी मनुष्य से डर ज्यादा।
????-लक्ष्मी सिंह ??

लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली
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MA B Ed (sanskrit) My published book is 'ehsason ka samundar' from 24by7 and is...

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