
May 26, 2016 · कुण्डलिया
कुंडलियां छन्द
कारे बदरा छा गये, छम छम बरसे बूँद
राधा देखे श्याम को , अपनी आँखे मूँद
अपनी आँखे मूँद , भरे वह ठंडी आहें
कलियाँ बनती फूल , सजी हैं मन की राहें
देखा रूप अनूप , निहारे मोहन प्यारे
गये ह्रदय में डूब , गरजते बदरा कारे
पुष्प लता शर्मा
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I am working as Manager Accounts in a Private company and writing is my passion...

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