Apr 13, 2020 · कविता
कीजिए माफ़
लीजिए अबके गंगा पांच बच्चों की बलि लेकर हो गई साफ़
अब कर दीजिए इन भूखे नगों को भी माफ़
भूख से बड़ी तो कोई लाचारी ही नहीं
ताली ठोकने वाले सारे वयभिचारी नहीं
भूखों से बड़ी कोरोना भी तो बीमारी नहीं
अजी छोड़िए दिल को अपने कीजिए साफ़
साहेब कि इसमें कोई भी तो जिम्मेदारी नहीं
अपने अपने हाथ उठा के इनको ही कीजिए माफ़
~ सिद्धार्थ

मुझे लिखना और पढ़ना बेहद पसंद है ; तो क्यूँ न कुछ अलग किया जाय......

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