Feb 28, 2021 · घनाक्षरी
किसान
धरती को माने माता,नित्य ही शीश नवाता,सबका ही अन्नदाता,देश का किसान है।
रखता माटी से नाता,उससे सोना उगाता,पेट सभी का भरता,सबसे महान है ।
कड़ी धूप में जलता,सदा शीत में पिसता,तन को होम बनाता,झेलता तूफान है।
सबकी भूख मिटाता,खुद भूखा रह जाता, व्याकुल हो अकुलाता,गिरवी मकान है ।
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली

MA B Ed (sanskrit) My published book is 'ehsason ka samundar' from 24by7 and is...

You may also like: