
Apr 9, 2020 · कविता
कह दो ख्वाबों से
कह दो ख्वाबों से
दरवाज़े खटखटाया न कर
नींद ही नही है ज़नाब आंखों में
अब यूं और सताया न कर
भूपेंद्र रावत
6।04।2020
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