
Aug 2, 2016 · मुक्तक
कहाँ अब वो मौसम पुराना रहा है
कहाँ अब वो मौसम पुराना रहा है
नही तेरा मेरा अब जमाना रहा है
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लग गये पैबन्द से रिश्तों में अब तो
रहा कुछ न बाकी, निभाना रहा है
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कपिल कुमार
02/07/2016

From Belgium

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