
Oct 3, 2017 · कविता
"एक सुबह मेघालय की"
???????????
व्यथित मन के झरोखों से,
घुटन तिल तिल के छटती है।
यामिनी तम से काली हो,
मगर पल पल पे छटती है।
उषा की ज्योति की लाली,
अरुण रक्तिम कपोलों पर ।
सुनहरी धूप बनकर के ,
सुबह देखो बरसती है।।
??????????
कुहुक पंक्षी चहक चिड़ियां,
खुसी के गीत गाते हैं ।
पुष्प गुच्छों से गुम्फित हो,
लताएं लहलहाती हैं ।
उषा की सोख कलियों पर,
भ्रमर गुंजन बिखरता है ।
रूप की धूप में सजकर,
प्रकृति कण-कण संजोती है ।।
??????????
कुमुदिनी थक के सोती है,
कमल सोकर के जगता है ।
चंदनी वायु का झोंका,
जहां स्पर्श होता है ।
प्रभा की किरणों से रंजित,
सुलभ ब्रह्मांड होता है ।
अरुण के साथ दिनकर का,
तभी आगाज़ होता है।।
??????????
5 Likes · 8 Comments · 2649 Views

अमित मिश्र शिक्षा - एम ए हिंदी, बी एड , यू जी सी नेट पता-...

You may also like: