ऊँचे चबूतरे पर...
ऊँचे चबूतरे पर जलता दीया
निचे रोशनी बिखेरना चाहता था
उन हवा के झोंके से बुझ गया
जो ऊँची ही चलती थी
ऊंचाई के अहसास के साथ
हवा यूँ ही बहती रही
पर दीया न जल पाया दुबारा
जो चाहता था निचे रोशनी
विखेरना…
ऊँचे चबूतरे पर जलता दिया।।
^^^^^^दिनेश शर्मा^^^^^

Dinesh Sharma
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सब रस लेखनी*** जब मन चाहा कुछ लिख देते है, रह जाती है कमियाँ नजरअंदाज...

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