Jun 10, 2019 · कविता
आज फिर तेरी याद आयी।
बैठे बैठे छत के मुंडेर पर,
अँधेरी डरावनी रात में,
अचानक मेरी पलके
भींग गयी जज्बात से,
ऐसे उमड़े बदल की अश्को की
बरसात आयी,
आज फिर तेरी याद आयी।
क्यों आयी? पता नहीं..!
शायद तूने याद किया हो,
फिर से मुझे बिखेरने की,
कोई नया तरीका ईजाद किया हो,
तेरे नफरत ने मेरे इश्क को,
बर्बाद करने की ठान आयी,
तभी तो….. मेरी जान-
आज फिर तेरी याद आयी..!!!
…राणा…

हम लेखक तो मनमौजी हैं पर फूल और अंगार दोनों लिखने की कुव्वत रखते हैं।

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