
Aug 11, 2016 · कविता
आजादी
एक हकीकत है,
कोई कहानी नहीं।
आजादी के लिए,
बहा था लहू,
की नादानी नहीं।
सिंहासन डोला था,
वीरों की हुंकार पर।
मरना धा मंजूर,
झुकना गवारा नहीं।।
ना धा मंजूर,
तन को देना।
चाहे जोहर में,
कूद जाना था।।
मजाक बना रखा है,
चंद कुर्सी के लोभियों ने।
अब उन्हें सहन करना,
हमें गवारा नहीं।।
नीलाम ना होने देंगे,
ए धरती माँ तुझे।
गद्दारों के इरादे,
हमें अब सहना नहीं।।
जय हिंद जय भारत…….
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