Jun 14, 2018 · कविता
आंखें
रोती है आंखें
हर गम सहती है आंखें
ना कुछ बतलाकर भी
सब कुछ बतलाती है आंखें
रोती है आंखें
हर गम सहती है आंखे
कभी खुशी के तो
कभी गम के आंसू बहाती है आंखें
अपनी इस गहराई में दुनिया को समेटती है आंखें
दुनिया को समेटती है आंखें
रोती है आंखें
हर गम सहती है आंखे

Manisha Bhardwaj
Panipat
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Student IB (PG) college panipat

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