
Apr 8, 2020 · कविता
अंजनी पुत्र हनुमान
***अंजनी सुत हनुमान*****
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पवन पुत्र हनुमान की जय हो
अंजनी सुत हनुमंत की जय हो
जब जब जग में विपदा है आई
राम सेवक की तब याद है आई
संकटमोचन हो,तुम हो दुखहर्ता
जग पर तुम हो सृजनकर्ताकर्ता
रावण की लंका पर कर चढ़ाई
सोने की लंका में आग जलाई
संजीवनी बूटी पहाड़ संग लाई
मुर्छित लक्ष्मण की जान बचाई
राम निशानी सीता तक पहुँचाई
सीता की राम को खबर सुनाई
सियापति रामचन्द्र के थे सेवक
नैया पार लगाई बन कर खेवट
लंका की ईंट से ईंट थी बजाई
राम नेतृत्व में रावण पीठ लगाई
सीता मैया के थे आँखों के तारे
सेवाभाव तुम सा नहीं रामप्यारे
महावीर तुम सा नहीं बलशाली
करते हो सदा तुम जग रखवाली
सुखविंद्र उपासक बन है ध्याता
तुम सा नहीं सृष्टि में कोई दाता
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत कार्यरत ःःअंग्रेजी प्रवक्ता, हरियाणा शिक्षा विभाग शैक्षिक योग्यता ःःःःM.A.English,B.Ed व्यवसाय ःःअध्ययन अध्यापन...

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