Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Jan 2017 · 2 min read

?मेरा और मेरे मित्र का वार्तालाप?

मेरा और मेरे मित्र का वार्तालाप ”
“मेरा और मेरे मित्र का वार्तालाप”

कुछ लोग ऐसे होते हैं,जो बेवज़ह खुश रहने की वज़ह पूछते है।
एक बार मेरे एक मित्र मेरे घर आये और कहने लगे ,मित्र तुम यूँ ही बेवज़ह ना मुस्कराया करो ,नज़र लग जायेगी ।
मैं कुछ पल रुकी ,फिर बोली ठीक है ,मैं नहीं मुस्कराउंगी ,
पर क्या हर पल दुखी रहूँ । कुछ पुरानी बातों को याद कर रोती रहूँ ,ठीक है ना फिर नज़र नहीं लगेगी ज़माने की।

मेरे मित्र बोले नहीं यार क्या कहूँ, लोग कहते हैं ये जो तुम खुश रहते हो ना, इसका कारण है कि तुम्हारे पास कोई कमी नहीं है ।
मैंने कहा हाँ कोई कमी नहीं है । भगवान का दिया सब कुछ है ।
पर मेरे खुश होने की वज़ह सिर्फ पैसा ही है ,ये तुम सबकी ग़लतफ़हमी है ।
मेरे मित्र ने कहा हाँ यही तो मैं कहना चाहता हूँ ,कि लोग सोचते हैं कि तुम्हारे पास पैसा है इसी लिये तुम खुश रहते हो ,और पैसा तो आनी जानी चीज है ,आज है कल नहीं इसे अपने आने वाले कल के लिये सँभाल कर रखो।

अपने मित्र की बात सुनकर मैं थोड़ा मुस्करायी , फिर जोर -जोर कर हँसने लगी , मैंने कहा अरे तुम सब को कोई ग़लतफहमी हो गयी है। पैसे से तो सिर्फ सुख सुविधाये खरीदी जा सकती हैं ख़ुशी नहीं ,और सुविधाएँ इंसान को कुछ पल तो आराम देती हैं और फिर नयी आव्यशकता को भी जन्म दे देती है।
मैं खुश रहती हूँ की मैं पुरानी बातों को याद कर -करके अपना आज ख़राब नहीं करती,
मैं खुश हूँ, की मैं आने वाले कल कल की चिँता में अपना समय व्यर्थ नहीं करती ,जो होना है वो तो होगा ही हर पल को जीना यही तो जीवन है ।

मैं अपने आज मैं जीती हूँ , जो बीत गया वो सपना था ,जो आयेगा वो किसने देखा ।
पर जो आज और अभी है ,उसे क्यों व्यर्थ की चिंताओं मैं व्यर्थ करना ।
मेरे खुश रहने की वज़ह है कि मैं वर्तमान मे जीती हूँ।
हर पल यहाँ जी भर जियो ,कल किसने देखा । सिकन्दर भी सारी दुनियाँ जीत कर ख़ाली हाथ गया
बड़े-बड़े राजा महाराजा भी खाली हाथ गये ।
जीतना है, तो दिलों को जीत लो मेरे यार कुछ दिलों मे जग़ह बना लो ।।।।।।

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Comment · 345 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
कितने घर ख़ाक हो गये, तुमने
कितने घर ख़ाक हो गये, तुमने
Anis Shah
कविता
कविता
Rambali Mishra
लखनऊ शहर
लखनऊ शहर
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
बहुत से लोग आएंगे तेरी महफ़िल में पर
बहुत से लोग आएंगे तेरी महफ़िल में पर "कश्यप"।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
कुछ बीते हुए पल -बीते हुए लोग जब कुछ बीती बातें
कुछ बीते हुए पल -बीते हुए लोग जब कुछ बीती बातें
Atul "Krishn"
9. पोंथी का मद
9. पोंथी का मद
Rajeev Dutta
डर
डर
अखिलेश 'अखिल'
श्री गणेश वंदना:
श्री गणेश वंदना:
जगदीश शर्मा सहज
मोहब्बत कर देती है इंसान को खुदा।
मोहब्बत कर देती है इंसान को खुदा।
Surinder blackpen
तुम्हारी हँसी......!
तुम्हारी हँसी......!
Awadhesh Kumar Singh
उत्साह का नव प्रवाह
उत्साह का नव प्रवाह
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
*रामपुर दरबार-हॉल में वाद्य यंत्र बजाती महिला की सुंदर मूर्त
*रामपुर दरबार-हॉल में वाद्य यंत्र बजाती महिला की सुंदर मूर्त
Ravi Prakash
💐प्रेम कौतुक-156💐
💐प्रेम कौतुक-156💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
सुर्ख चेहरा हो निगाहें भी शबाब हो जाए ।
सुर्ख चेहरा हो निगाहें भी शबाब हो जाए ।
Phool gufran
बड्ड यत्न सँ हम
बड्ड यत्न सँ हम
DrLakshman Jha Parimal
मोबाइल
मोबाइल
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
जुबां पर मत अंगार रख बरसाने के लिए
जुबां पर मत अंगार रख बरसाने के लिए
Anil Mishra Prahari
You relax on a plane, even though you don't know the pilot.
You relax on a plane, even though you don't know the pilot.
पूर्वार्थ
कोई दरिया से गहरा है
कोई दरिया से गहरा है
कवि दीपक बवेजा
मनीआर्डर से ज्याद...
मनीआर्डर से ज्याद...
Amulyaa Ratan
मैं तुमसे दुर नहीं हूँ जानम,
मैं तुमसे दुर नहीं हूँ जानम,
Dr. Man Mohan Krishna
धड़कनो की रफ़्तार यूँ तेज न होती, अगर तेरी आँखों में इतनी दी
धड़कनो की रफ़्तार यूँ तेज न होती, अगर तेरी आँखों में इतनी दी
Vivek Pandey
"सूदखोरी"
Dr. Kishan tandon kranti
यह ज़िंदगी है आपकी
यह ज़िंदगी है आपकी
Dr fauzia Naseem shad
Jindagi ka safar bada nirala hai ,
Jindagi ka safar bada nirala hai ,
Sakshi Tripathi
हमारा सफ़र
हमारा सफ़र
Manju sagar
भाई बहन का रिश्ता बचपन और शादी के बाद का
भाई बहन का रिश्ता बचपन और शादी के बाद का
Rajni kapoor
कोई दौलत पे, कोई शौहरत पे मर गए
कोई दौलत पे, कोई शौहरत पे मर गए
The_dk_poetry
मेरे पापा
मेरे पापा
Dr. Pradeep Kumar Sharma
आज हमने सोचा
आज हमने सोचा
shabina. Naaz
Loading...