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3 Oct 2017 · 1 min read

? हृदय की वीणा के सुर ?

न मुझमें कुछ मेरा प्रियतम,
न तुझमें कुछ तेरा।

दो श्वासें एकसार हो गईं,
वीणा ने सुर साथ बिखेरा।

विवाह की पावन वेदी पर,
थामा था तुमने हाथ मेरा।

आओ साथ करें अभिवादन,
सम्मुख है इक नया सवेरा।

– – – रंजना माथुर दिनांक 13 /12 /2016
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना
©

Language: Hindi
296 Views
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