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17 Apr 2020 · 1 min read

ज़िन्दगी तुम ही इनाम लेकर आए थे

ज़िन्दगी तुम ही इनाम लेकर आए थे
मौत का पैग़ाम भी तुम ही लेकर आए थे
ज़िन्दगी गुज़र रही थी इसी जदोजहद में
विष सरेआम तुम ही पिलाने आए थे

ख़्वाब दोनों ने मिलकर बनाए थे
बाद में तुम ही खूब पछताए थे
तुमने ही साथ छोड़ा था हमसफ़र
सफर में तुम ही गिराने आए थे

वो समुन्द्र का किनारा था
नजाने किस और उतारा था
न कश्ती,न कोई सहारा था
फ़क़्त तेरी राह तकता
खड़ा एक बेचारा था

भूपेंद्र रावत
15।04।2020

Language: Hindi
1 Like · 393 Views
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