ग़ज़ल:-लिखे जो गीत हैं मैंने
वह्र:- 1222 1222 1222 1222
लिखे जो गीत हैं मैंने कभी तुम गुन गुनाओगे।
रहूँगा याद बनकर मैं मुझे तुम दिल में पाओगे।।
न समझो आज तुम मुझको नही कोई गिला शिकवा।
उठेगी लाश जब मेरी मेरा मातम मनाओगे।।
लिखा गीता में भी कुछ यूं करोगे जो भरोगे तुम।
किए हैं कर्म जो तुमने तो फल वैसा ही पाओगे।।
मैं तेरे पास था जब तक क़दर मेरी न समझा तूं।
चला दुनिया से जाऊँगा तो फिर सोते जगाओगे।।
लहू मैंने जलाया है सुरीले गीत लिखने में।
रहेगा ‘कल्प’ रोशन अब शमां ये तुम जलाओगे।।
✍?अरविंद राजपूत ‘कल्प’