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4 Nov 2018 · 1 min read

ग़ज़ल:- करके शक़ मुझपे सबालात किये जाते हैं

बहरे रमल मुसम्मन मख़बून महजूफ
अरकान- फ़ाइलातुन फ़यलातुन फ़यलातुन फ़ेलुन
2122 1122 1122 22

करके शक़ मुझपे सबालात किये जाते हैं।
फिर भी क्यों प्यार की बरसात किये जाते हैं।।

क़त्ल करके मेरा मरहूम बनाया मुझको।
खेद जतला के क्यूँ आघात किये जाते हैं।।

गौर से देखते तो हैं मेरी सूरत लेकिन।
वो नही देखते इस्बात किये जाते हैं।।

कर्ज़ का बोझ लिये चलते कशावर्ज भी अब।
खेत में काम वो दिन रात किए जाते हैं।।

अब जवानों की सहादत नही सुरखी बनती।
अब ख़बरदार गलत बात किये जाते हैं।।

‘कल्प’ मतदान में अफ़वाह वो फ़ैलाते यूँ।
दंगे भड़कें यही हालात किये जाते हैं।।

✍?अरविंद राजपूत ‘कल्प’

1 Like · 1 Comment · 342 Views
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