ॐ नमः शिवाय
ॐ नमो शिवाय
शिव कितने भोले भाले है,,,,
भांग पी पी कर मस्त रहने वाले है।
पहाड़ियों जंगलो में वास है,,,
मृग छाल पहन रखे तन पर,,
फिर भी लगे मोहक है ।
नागराज की माला गले में पहने है,,
त्रिलोकी नाथ शिव सबको लगे प्यारे है।
चिता की राख को तन पर मले है,,,
गंगा को जटा में धारण किये है,,
पार्वती संग ब्याह रचाये साथ चले नंदी है,,
हाथ धरे कमंडल डमरू डम डम बजाये है,,,।
त्रिशूल हाथ धरे कदम आंगे बढ़ाये है,,
अर्ध चन्द्र को माथे पे अपने सजाये है ।
बैठ गिरियों की ऊँची चोटी पर,,,
भोले तप आरधना में लीन हुये है।
महाकाल जिनका नाम तीनों लोक के नाथ है
जगत कल्याण ही इनका परम् उद्देश्य काम है।