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8 Feb 2019 · 1 min read

है ख्वाहिश मेरी भी:-बेटी

थी ख्वाहिश उस आसमान मे उडने की,
पर लडकी कह्कर टोक दिया।
जाना चाहूँ मैं भी सकूल ,
ये कह्ते ही गला द्बोच लिया।
बनना चाहूँ मैं अच्छा इंसान,
तो लोगो ने इंसानियत दिखाना छोड दिया ।
थोडी सी क्या हो गयी बडी,
लोगो ने सपने छुडाना शुरु कर दिया ।
सोचा करू देश का नाम,
तो लोगो ने बेटी बचाना छोड दिया।
सुझाव :-सुनो भारत के सोये हुए इंसानो एक दिन ऐसा आयेगा ।जब तुम्हे बेटी का मह्तव समझ आयेगा ।तब तुम रोओगे पर तुमहारे आंसू पोछ्ने के लिये बेटीया नही होगी
written by :- babita shekhawat

Language: Hindi
3 Likes · 3 Comments · 232 Views
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