Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Jan 2019 · 1 min read

हैं कोई

मेरे ख्वाबों में आकर मेरी रात बिगाड़ता है कोई ,
आँखों में आँख डाल कर जैसे निहारता है कोई ।

मैं जब भी तेरे पास आता हूं …ऐसा लगता है
तेरी जुल्फ़े संवारता है कोई ।

ये इश्क़ है या है कोई खेल ,
रोज यहाँ आकर दिल हारता है कोई ।

तुम्हें जब – जब देखता हूं इस जमीं पर ..
शिकायत बस यही होती है , ऐसे जमीं पे चाँद उतारता है कोई ।

हम ‘ हसीब ‘ है हमें वही रहने दो ,
आप , तुम , ये , वो करके पुकारता है कोई ।

यू खुले जुल्फ़ लेकर छत पर टहला ना करो ..
देखते देखते ऐसे निहारता है कोई ।

वक़्त की भी कोई साजिश लगने लगी है आजकल ,
दिन-रात ऐसे कभी जागता है कोई ।

मेरे दोस्त आजकल कह रहे तू शरीफ़ सा हो गया ,
भला ऐसे भी किसी को सुधारता है कोई ।

मुझे देखने के लिए थोड़ा शर्माया भी करो ,
यू आँखों को ऐसे फारता है कोई ।

हा है प्यार मगर ये तो नही ,
प्यार में ऐसे भी मारता है कोई ।

:-हसीब अनवर

4 Likes · 1 Comment · 392 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
खूबसूरत बहुत हैं ये रंगीन दुनिया
खूबसूरत बहुत हैं ये रंगीन दुनिया
The_dk_poetry
आकाश
आकाश
Dr. Kishan tandon kranti
युद्ध के मायने
युद्ध के मायने
डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
पलटूराम में भी राम है
पलटूराम में भी राम है
Sanjay ' शून्य'
ग़र कुंदन जैसी चमक चाहते हो पाना,
ग़र कुंदन जैसी चमक चाहते हो पाना,
SURYA PRAKASH SHARMA
गिर गिर कर हुआ खड़ा...
गिर गिर कर हुआ खड़ा...
AMRESH KUMAR VERMA
इस जग में है प्रीत की,
इस जग में है प्रीत की,
sushil sarna
शायरी - ग़ज़ल - संदीप ठाकुर
शायरी - ग़ज़ल - संदीप ठाकुर
Sundeep Thakur
मुक्तक
मुक्तक
Mahender Singh Manu
सुरक्षा
सुरक्षा
Dr. Pradeep Kumar Sharma
क्या कहती है तस्वीर
क्या कहती है तस्वीर
Surinder blackpen
💐अज्ञात के प्रति-139💐
💐अज्ञात के प्रति-139💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
हम समुंदर का है तेज, वह झरनों का निर्मल स्वर है
हम समुंदर का है तेज, वह झरनों का निर्मल स्वर है
Shubham Pandey (S P)
बेशक ! बसंत आने की, खुशी मनाया जाए
बेशक ! बसंत आने की, खुशी मनाया जाए
Keshav kishor Kumar
जिन्दगी की यात्रा में हम सब का,
जिन्दगी की यात्रा में हम सब का,
नेताम आर सी
अजनबी
अजनबी
Shyam Sundar Subramanian
रक्षाबंधन (कुंडलिया)
रक्षाबंधन (कुंडलिया)
दुष्यन्त 'बाबा'
अस्त हुआ रवि वीत राग का /
अस्त हुआ रवि वीत राग का /
ईश्वर दयाल गोस्वामी
सत्य
सत्य
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
2486.पूर्णिका
2486.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
मंदिर की नींव रखी, मुखिया अयोध्या धाम।
मंदिर की नींव रखी, मुखिया अयोध्या धाम।
विजय कुमार नामदेव
संयुक्त राष्ट्र संघ
संयुक्त राष्ट्र संघ
Shekhar Chandra Mitra
*रामपुर रजा लाइब्रेरी में सुरेंद्र मोहन मिश्र पुरातात्विक संग्रह : एक अवलोकन*
*रामपुर रजा लाइब्रेरी में सुरेंद्र मोहन मिश्र पुरातात्विक संग्रह : एक अवलोकन*
Ravi Prakash
गर कभी आओ मेरे घर....
गर कभी आओ मेरे घर....
Santosh Soni
प्रेम ईश्वर प्रेम अल्लाह
प्रेम ईश्वर प्रेम अल्लाह
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
युवा है हम
युवा है हम
Pratibha Pandey
बैठा ड्योढ़ी साँझ की, सोच रहा आदित्य।
बैठा ड्योढ़ी साँझ की, सोच रहा आदित्य।
डॉ.सीमा अग्रवाल
मैं नहीं हो सका, आपका आदतन
मैं नहीं हो सका, आपका आदतन
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
उलझते रिश्तो में मत उलझिये
उलझते रिश्तो में मत उलझिये
Harminder Kaur
#हमारे_सरोकार
#हमारे_सरोकार
*Author प्रणय प्रभात*
Loading...