हे गिरधारी कृष्ण मुरारी
हे गिरधारी कृष्ण मुरारी ,मुरली आज बजाओ ।
काश्मीर में आग लगी है , इसकी आग बुझाओ ।।
मानव हुआ खून का प्यासा, खुद से ही वह खेल रहा ।
अपने ही कर्मों का फल वह, खुद ही केवल झेल रहा ।।
बढ़ी बहुत उसकी अभिलाषा ,उसकी चाह घटाओ।
हे गिरधारी कृष्ण मुरारी , मुरली आज बजाओ।।
जब-जब धरम हुआ है घायल,तुमने लेप लगाया है।
लाज बचाई, द्रुपदजा की, आकर चीर बढाया है।।
आज राष्ट्र को अहम् जरूरत,अपने कदम बढाओ।
हे गिरधारी कृष्ण मुरारी, मुरली आज बजाओ।।
वीराना है यमुना का तट, वन जंगल वीरान हुआ।
माया के मद में अंधा हो, मानव भी शैतान हुआ।।
यमुना मैली ,दूषित जल है ,उसको साफ कराओ।
हे गिरधारी कृष्ण मुरारी, मुरली आज बजाओ।।