Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Apr 2020 · 1 min read

हिसाब हुआ कि कोई हिसाब नही है

हिसाब हुआ कि कोई हिसाब नही है
गुज़रते गए दिन तन्हा और कोई किताब नही है

मियां क्यों ग़म छुपाए बैठे हो
इस ग़म का कोई इलाज़ नही है

किस मुँह से जाओगे ग़ालिब
तेरे जैसा कोई गम्माज़ नही है

कोई नक़ाब तो लाओ दुनिया वालो
अफ़सोस ऐसा कोई उस्ताद नही है

भूपेंद्र रावत
15।04।2020

2 Likes · 392 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*
*"शिव आराधना"*
Shashi kala vyas
असफलता का जश्न
असफलता का जश्न
Dr. Kishan tandon kranti
एक तिरंगा मुझको ला दो
एक तिरंगा मुझको ला दो
लक्ष्मी सिंह
अब नई सहिबो पूछ के रहिबो छत्तीसगढ़ मे
अब नई सहिबो पूछ के रहिबो छत्तीसगढ़ मे
Ranjeet kumar patre
सत्य क्या है ?
सत्य क्या है ?
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
परिंदे अपने बच्चों को, मगर उड़ना सिखाते हैं( हिंदी गजल)
परिंदे अपने बच्चों को, मगर उड़ना सिखाते हैं( हिंदी गजल)
Ravi Prakash
तिरस्कार,घृणा,उपहास और राजनीति से प्रेरित कविता लिखने से अपन
तिरस्कार,घृणा,उपहास और राजनीति से प्रेरित कविता लिखने से अपन
DrLakshman Jha Parimal
भुक्त - भोगी
भुक्त - भोगी
Ramswaroop Dinkar
जरूरी नहीं राहें पहुँचेगी सारी,
जरूरी नहीं राहें पहुँचेगी सारी,
Satish Srijan
आ जाओ
आ जाओ
हिमांशु Kulshrestha
सीप से मोती चाहिए तो
सीप से मोती चाहिए तो
Harminder Kaur
2314.पूर्णिका
2314.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
खामोश
खामोश
Kanchan Khanna
* straight words *
* straight words *
DR ARUN KUMAR SHASTRI
हज़ारों साल
हज़ारों साल
abhishek rajak
* सत्य एक है *
* सत्य एक है *
surenderpal vaidya
हमारे तो पूजनीय भीमराव है
हमारे तो पूजनीय भीमराव है
gurudeenverma198
#चाह_वैभव_लिए_नित्य_चलता_रहा_रोष_बढ़ता_गया_और_मैं_ना_रहा।।
#चाह_वैभव_लिए_नित्य_चलता_रहा_रोष_बढ़ता_गया_और_मैं_ना_रहा।।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
हर तरफ खामोशी क्यों है
हर तरफ खामोशी क्यों है
VINOD CHAUHAN
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Fuzail Sardhanvi
"मुसव्विर ने सभी रंगों को
*Author प्रणय प्रभात*
होली
होली
Madhavi Srivastava
आज रात कोजागरी....
आज रात कोजागरी....
डॉ.सीमा अग्रवाल
है हार तुम्ही से जीत मेरी,
है हार तुम्ही से जीत मेरी,
कृष्णकांत गुर्जर
अपनी पहचान
अपनी पहचान
Dr fauzia Naseem shad
ग़ज़ल सगीर
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
नवजात बहू (लघुकथा)
नवजात बहू (लघुकथा)
दुष्यन्त 'बाबा'
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
वह मेरे किरदार में ऐब निकालता है
वह मेरे किरदार में ऐब निकालता है
कवि दीपक बवेजा
मेरे राम
मेरे राम
Ajay Mishra
Loading...