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30 Apr 2017 · 1 min read

हिंदी से प्यार करो

निज को सद् आचार करो औ प्रेमरूप त्योहार करो।
भारतवर्ष प्रगति पाएगा, तुम हिंदी से प्यार करो।

•विश्व-विजय की प्रबल साधना हमने की, सद्भाव भरा।
वह करते हैं सदा, गालियाँ देकर मेरा घाव हरा।
सदा सु चिंतनरूप चेतना गहो, न निज मन क्षार करो।
भारतवर्ष प्रगति पाएगा, तुम हिंदी से प्यार करो।

•दिव्य ज्ञान की सजग धरोहर से हमने उर को सींचा।
व्यर्थ झगड़ते हो तुम पकड़ो, प्रीति-पंथ अतिशय नीका।
तुुम नव नायक हो स्वराष्ट्र के, जागो इक उपकार करो।
भारतवर्ष प्रगति पाएगा, तुम हिंदी से प्यार करो।

•हमें हिंद से प्रेम है लेकिन नहीं ईर्ष्या औरों से।
झूठा पेट भरो मत प्यारे, अब तुम जूँठन-कौरों से।
मातृधरणि की प्रबल साधना से सुरभित संसार करो।
भारतवर्ष प्रगति पाएगा, तुम हिंदी से प्यार करो।
——————————————————–

बृजेश कुमार नायक
“जागा हिंदुस्तान चाहिए” एवं “क्रौंच सुऋषि आलोक” कृतियों के प्रणेता

दिनांक 30-04-2017

“जागा हिंदुस्तान चाहिए”कृति का गीत

● इस रचना को “जागा हिंदुस्तान चाहिए” काव्य संग्रह के द्वितीय संस्करण के अनुसार परिष्कृत किया गया है।

●”जागा हिंदुस्तान चाहिए” काव्य संग्रह का द्वितीय संस्करण अमेजोन और फ्लिपकार्ट पर उपलब्ध है।

Language: Hindi
Tag: गीत
2 Likes · 1 Comment · 863 Views
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