Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Sep 2017 · 4 min read

हिंदी भाषा: वर्तमान संदर्भ में

हमारा देश भारतवर्ष गौरवशाली व संसंस्कृति प्रधान
देश रहा है । यहाँ पर विभिन्न धर्मों के अनुयायी व अनेकों भाषायें बोलने वाला जनजातियाँ वास करती हैं । स्वाभाविक है इतनी भाषायें होने पर वैचारिक भिन्नता का होना । अत: अनेकता में एकता का आह्वान करने हेतु व पूरे राष्ट्र के वासियों को आपस में एक- दूसरे के विचारों के आदान- प्रदान के लिये एक राष्ट्रीय भाषा का होना आवश्यक था….. अत: संस्कृत के बाद सर्वाधिक लोकप्रिय भाषा हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिया गया ।।
हिंदी के अस्तित्व को गौण नहीं समझा जा सकता…. जैसा कि हमारी युवा पीढ़ी मान रही है । हमारे देश के प्रमुख पौराणिक ग्रंथ रामायण व महाभारत पूरे विश्व में श्रद्धा व विश्वास के साथ पढ़े जाते हैं । विश्व की अनेक भाषाओं में इनका अनुवाद भी हो चुका है ….. कई देशों में तो इनको पाठ्यक्रम में जोड़ने की मुहिम चल रही है । हमारे देश की बोल- चाल की प्रमुख भाषा हिंदी ही है। हम प्रत्येक प्रांत, जाति व धर्म के लोगों को उनकी भाषा न जानते हुये भी हिंदी में अपनी बात अच्छी तरह समझा सकते हैं ।
विदेशी या दूसरी भाषाओं का ज्ञान होना ग़लत नही है अपितु वैश्विक स्तर पर हमारी ज्ञान- पिपासा में वृद्धि ही होती है किंतु अपनी भाषा की उपेक्षा निंदनीय है । स्वतंत्रता के पश्चात् भी हमारे देश में अंग्रेज़ी को ही प्रमुख स्थान दिया जाता रहा है……. कभी- कभी तो ऐसा प्रतीत होता है हम मानसिक तौर पर अभी भी ग़ुलामी की ज़िंदगी जी रहे हैं जिसके कारण हमारी मातृभाषा का स्वरूप चरमराता सा नज़र आता है । हमारी युवा पीढ़ी सार्वजनिक स्थलों पर हिंदी की व्यवहार करने में स्वयं को अपमानित महसूस करती है …. वहीं आजकल बच्चों को भी कॉन्वेंट स्कूलों में पढ़ाने का चलन हो गया है…. माता- पिता भी क्या करे… सरकारी व हिंदीभाषी विद्यालयों में पढ़ाई का निम्नस्तर भी बच्चों को उन स्कूलों में पढ़ाने हेतु विवश करता है । कही- कहीं तो हद हो जाती है जब छोटे बच्चों को भी दाख़िले के समय अंग्रेज़ी का ज्ञान होना मेधावी माना जाता है…… समाज ऊहापोह की स्थिति में है ।
हमारे समाज के ठेकेदार या यूँ कहें ऊँचे तबके के लोग व प्रशासन भी अंग्रेज़ी को ही वरीयता देता है । सभी सरकारी या निजी कार्यालयों में सारा काम अंग्रेज़ी में ही होता है….. यहाँ तक कि कुछ कार्यालयों मे तो आंगतुक जब तक अंग्रेज़ी का व्यवहार न करे ….. कोई उससे मुखर भी नही होता…… हद हो गई हमारी मानसिकता की । रोज़गार के अवसर भी अंग्रेज़ी का ज्ञान रखने वालों के लिये ही है…… मातृभाषा बोलने वालों को तो निम्न वर्ग की नौकरी में ही संतुष्ट होना पड़ता है….. ऐसा लगता है अपने ही देश में हिंदी अपना अस्तित्व खो रही है । यहाँ तक कि हिंदी प्रयुक्त करने वालेों को उच्च समाज में होय दृष्टि से देखा जाता है जो उनकी निम्न मानसिकता का परिचायक है ।।
आज हमारी भाषा को विदेशों में प्रश्रय दिया जा रहा है……अन्य देशों के लोगों का रुझान हिंदी सीखने की तरफ़ बढ़ा है….. हिंदी सीखाने के लिये विशेष कक्षायें ली जाती हैं । विश्व के हरेक देश के प्रतिनिधि विदेशों में कही भी जाने पर अपनी ही भाषा में अपना वक्तव्य देने में गौरवान्वित होते हैं जब कि हमारे नेतागण या प्रतिनिधि अंग्रेज़ी बोलने में अपनी शान समझते है । सोचा जाये तो ….. राष्ट्र या भाषा का कितना अनादर है ऐसा करना …… बड़ी हास्यास्पद स्थिति है ।।
अब समय है …… लोगों को अपनी भाषा के महत्व से रूबरू करवाने का ….. व पुन: उच्चतम स्तर पर स्थापित कराने का । अत: हिंदी को पुन: प्रतिष्ठित करने हेतु जनता के साथ- साथ सरकारों व अन्य संस्थानों को प्रयत्नशील होना होगा । बच्चों को हिंदी सीखने हेतु प्रोत्साहित करना होगा…… उनके उज्जवल भविष्य के लिये अपनी भाषा व देश- प्रेम का पाठ पढ़ाना होगा । सरकारी कार्यालयों व सार्वजनिक स्थलों के साथ पूरे गेश में हिंदी का ज्ञान अनिवार्य करना होगा । आज के भौतिकवाद युग में कंप्यूटर व इंटरनेट पर भी हिंदी में
सारी सामग्री या यूँ कहें सभी बातें उपलब्ध हैं…….. हिंदी पूरे विश्व में पढ़ी जा रही है …. फिर हम ऐसी भाषा की उपेक्षा क्यों कर रहे हैं ? विश्व स्तर पर भी हिंदी का विकास हो रहा है । आजकल मीडिया भी हमारी भाषा के प्रचार- प्रसार में अपनी भूमिका निभा रहा है । आज अनेक संस्थायें व सरकार भी हिंदी रे उत्थान के लिये प्रयत्नशील हैं ।हमें दोहरी मानसिकता को त्यागकर अपनी ही भाषा को समुचित आदर देते हुये बहुतायत रूप में इसका प्रयोग करना होगा व भावी पीढ़ी को भी हिंदी के विकास के लिये जागरूक करना होगा जिससे हमारी भाषा विश्व में नया आयाम पर स्थापित हो सके ।।

** मंजु बंसल **
जोरहाट

( मौलिक व प्रकाशनार्थ )

Language: Hindi
Tag: लेख
3 Likes · 5585 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
फ़िलिस्तीन-इज़राइल संघर्ष: इसकी वर्तमान स्थिति और भविष्य में शांति और संप्रभुता पर वैश्विक प्रभाव
फ़िलिस्तीन-इज़राइल संघर्ष: इसकी वर्तमान स्थिति और भविष्य में शांति और संप्रभुता पर वैश्विक प्रभाव
Shyam Sundar Subramanian
वो दरारें जो
वो दरारें जो
Dr fauzia Naseem shad
यही बस चाह है छोटी, मिले दो जून की रोटी।
यही बस चाह है छोटी, मिले दो जून की रोटी।
डॉ.सीमा अग्रवाल
कभी फौजी भाइयों पर दुश्मनों के
कभी फौजी भाइयों पर दुश्मनों के
ओनिका सेतिया 'अनु '
साया ही सच्चा
साया ही सच्चा
Atul "Krishn"
*घट-घट वासी को को किया ,जिसने मन से याद (कुंडलिया)*
*घट-घट वासी को को किया ,जिसने मन से याद (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
* प्रभु राम के *
* प्रभु राम के *
surenderpal vaidya
महिला दिवस विशेष दोहे
महिला दिवस विशेष दोहे
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
రామ భజే శ్రీ కృష్ణ భజే
రామ భజే శ్రీ కృష్ణ భజే
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
तुझे याद करता हूँ क्या तुम भी मुझे याद करती हो
तुझे याद करता हूँ क्या तुम भी मुझे याद करती हो
Rituraj shivem verma
शिष्टाचार एक जीवन का दर्पण । लेखक राठौड़ श्रावण सोनापुर उटनुर आदिलाबाद
शिष्टाचार एक जीवन का दर्पण । लेखक राठौड़ श्रावण सोनापुर उटनुर आदिलाबाद
राठौड़ श्रावण लेखक, प्रध्यापक
घर आये हुये मेहमान का अनादर कभी ना करना.......
घर आये हुये मेहमान का अनादर कभी ना करना.......
shabina. Naaz
*कमाल की बातें*
*कमाल की बातें*
आकांक्षा राय
■ सियासी बड़बोले...
■ सियासी बड़बोले...
*Author प्रणय प्रभात*
पूरी कर  दी  आस  है, मोदी  की  सरकार
पूरी कर दी आस है, मोदी की सरकार
Anil Mishra Prahari
बचपन की अठखेलियाँ
बचपन की अठखेलियाँ
लक्ष्मी सिंह
आविष्कार एक स्वर्णिम अवसर की तलाश है।
आविष्कार एक स्वर्णिम अवसर की तलाश है।
Rj Anand Prajapati
ताश के महल अब हम बनाते नहीं
ताश के महल अब हम बनाते नहीं
Er. Sanjay Shrivastava
काम क्रोध मद लोभ के,
काम क्रोध मद लोभ के,
sushil sarna
कैसा होगा मेरा भविष्य मत पूछो यह मुझसे
कैसा होगा मेरा भविष्य मत पूछो यह मुझसे
gurudeenverma198
’शे’र’ : ब्रह्मणवाद पर / मुसाफ़िर बैठा
’शे’र’ : ब्रह्मणवाद पर / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
माँ
माँ
Kavita Chouhan
जब जब भूलने का दिखावा किया,
जब जब भूलने का दिखावा किया,
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
मेरी तकलीफ़ पे तुझको भी रोना चाहिए।
मेरी तकलीफ़ पे तुझको भी रोना चाहिए।
पूर्वार्थ
क्या है नारी?
क्या है नारी?
Manu Vashistha
ایک سفر مجھ میں رواں ہے کب سے
ایک سفر مجھ میں رواں ہے کب سے
Simmy Hasan
याद करने के लिए बस यारियां रह जाएंगी।
याद करने के लिए बस यारियां रह जाएंगी।
सत्य कुमार प्रेमी
माँ स्कंदमाता की कृपा,
माँ स्कंदमाता की कृपा,
Neelam Sharma
छा जाओ आसमान की तरह मुझ पर
छा जाओ आसमान की तरह मुझ पर
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
सावन
सावन
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
Loading...