हाट का ठाठ
ज्ञान ध्यान की बात
ना कर,
हाट की बात सोच,
कितना ठाठ है बाजार का-
स्कूल भी दुकान
बिकने लगा है-
यहाँ ज्ञान,
अब ज्ञान भी ज्ञान नहीं रहा,
बिज़नस की बात ना कर
बिकने लगी डीग्री
जो चाहोगे वो –
पाओगे,
अगर है रुपये अपार
ज्ञान ध्यान की बात
ना कर,
हाट की बात सोच,
कितना ठाठ है बाजार का-
स्कूल भी दुकान
बिकने लगा है-
यहाँ ज्ञान,
अब ज्ञान भी ज्ञान नहीं रहा,
बिज़नस की बात ना कर
बिकने लगी डीग्री
जो चाहोगे वो –
पाओगे,
अगर है रुपये अपार