Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Apr 2020 · 1 min read

हर शक्स की एक कहानी है ।

हर शक्स की एक कहानी है , किसी की अधूरी किसी की पूरी जुबानी है ,
खाली सा है कोई शक्स मुझ में , बेरंग से हो गये है सपने, बहुत कुछ भूल सा गया हूंँ मैं , शायद पहले से कुछ ज्यादा थक गया हूं मैं ।
तिनका तिनका बटोर , एक कुटिया बनाई है , सपने कैद कर भूल गया हूं मैं ,
अब उम्र भी हो चली है मेरी , अब बस मैं और मेरी तन्हाई है ।
भटक आता हूंँ यू ही हर रोज़ ,
रास्ते भी खुद मुझे खोज लेते है ।
निकला जो कभी किसी सफर पर मैं ,
कभी तो पहुचूंगा तेरे शहर भी मैं ,
मिलता बिछड़ता रहा तू मुझसे ,
अब कभी मिले तो जुदा ना होने दूंगा मुझसे..।
हर शक्स की एक कहानी है , किसी की अधूरी किसी की पूरी जुबानी है !

Language: Hindi
2 Likes · 680 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
हिज़्र
हिज़्र
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
एक सच और सोच
एक सच और सोच
Neeraj Agarwal
दोपहर जल रही है सड़कों पर
दोपहर जल रही है सड़कों पर
Shweta Soni
मन हमेशा इसी बात से परेशान रहा,
मन हमेशा इसी बात से परेशान रहा,
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
मैं
मैं
Seema gupta,Alwar
सपनो का सफर संघर्ष लाता है तभी सफलता का आनंद देता है।
सपनो का सफर संघर्ष लाता है तभी सफलता का आनंद देता है।
पूर्वार्थ
जिसकी जुस्तजू थी,वो करीब आने लगे हैं।
जिसकी जुस्तजू थी,वो करीब आने लगे हैं।
करन ''केसरा''
प्रतिबद्ध मन
प्रतिबद्ध मन
लक्ष्मी सिंह
******आधे - अधूरे ख्वाब*****
******आधे - अधूरे ख्वाब*****
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खुशनुमा – खुशनुमा सी लग रही है ज़मीं
खुशनुमा – खुशनुमा सी लग रही है ज़मीं
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
जिन्दगी की धूप में शीतल सी छाव है मेरे बाऊजी
जिन्दगी की धूप में शीतल सी छाव है मेरे बाऊजी
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
मस्ती के मौसम में आता, फागुन का त्योहार (हिंदी गजल/ गीतिका)
मस्ती के मौसम में आता, फागुन का त्योहार (हिंदी गजल/ गीतिका)
Ravi Prakash
رام کے نام کی سب کو یہ دہائی دینگے
رام کے نام کی سب کو یہ دہائی دینگے
अरशद रसूल बदायूंनी
ईमानदारी की ज़मीन चांद है!
ईमानदारी की ज़मीन चांद है!
Dr MusafiR BaithA
💐प्रेम कौतुक-536💐
💐प्रेम कौतुक-536💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
युवराज की बारात
युवराज की बारात
*Author प्रणय प्रभात*
मुझसे पूछा उसने तुमने मां पर भी कुछ लिखा
मुझसे पूछा उसने तुमने मां पर भी कुछ लिखा
कवि दीपक बवेजा
जीवन तेरी नयी धुन
जीवन तेरी नयी धुन
कार्तिक नितिन शर्मा
प्रभु रामलला , फिर मुस्काये!
प्रभु रामलला , फिर मुस्काये!
Kuldeep mishra (KD)
Best ghazals of Shivkumar Bilagrami
Best ghazals of Shivkumar Bilagrami
Shivkumar Bilagrami
"आशा" के दोहे '
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
स्मार्ट फोन.: एक कातिल
स्मार्ट फोन.: एक कातिल
ओनिका सेतिया 'अनु '
पावस में करती प्रकृति,
पावस में करती प्रकृति,
Mahendra Narayan
तुम मेरे बाद भी
तुम मेरे बाद भी
Dr fauzia Naseem shad
खाली सूई का कोई मोल नहीं 🙏
खाली सूई का कोई मोल नहीं 🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
2401.पूर्णिका
2401.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
जूते और लोग..,
जूते और लोग..,
Vishal babu (vishu)
ज़िस्म की खुश्बू,
ज़िस्म की खुश्बू,
Bodhisatva kastooriya
कविता -
कविता - "बारिश में नहाते हैं।' आनंद शर्मा
Anand Sharma
बाल बिखरे से,आखें धंस रहीं चेहरा मुरझाया सा हों गया !
बाल बिखरे से,आखें धंस रहीं चेहरा मुरझाया सा हों गया !
The_dk_poetry
Loading...