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13 Nov 2017 · 1 min read

हर कोई बनना चाहे उसके प्रियतम

हर कोई बनना चाहे उसके प्रियतम l

उसके तो चरणकमल है,चन्द्रवदन है l
और नव्य मधु बसंत सा यौवन है ll
सावन कि घटा सा काजल, कमलनयन हैl
कोई मंदिर सा उसके मन कुंदन है ll

उसकी पायल की रुनझुन है नव सरगमl
हर कोई बनना चाहे उसके प्रियतम ll

लब सूरज की लाली सा, मुख दर्पन है l
उड़ते जुल्फें बादल सा, तन कंचन हैं ll
उसके रग रग में चाहत की स्यंदन है l
उसके दिल भी वृंदावन का मधुबन है ll

मनुहार मधुर मुस्कान मधुर अनुपम l
हर कोई बनना चाहे उसके प्रियतम ll

उसकी पलके भी जैसे स्वर्णकमल हैं l
बिंदी चन्द्रसूर्य सी औ’ पादकमल हैं ll
उसके है गगनांचल औ’ हस्तकमल है l
वो जीती जागती कशिश ताज़महल है ll

हया लाजवंती सी बातें है मधुरम l
हर कोई बनना चाहे उसके प्रियतम ll

✍दुष्यंत कुमार पटेल चित्रांश

Language: Hindi
Tag: गीत
267 Views
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