हम ही तो वो है जिन्होंने शून्य का इतिहास रचा…
हम ही तो वो है जिन्होंने शून्य का इतिहास रचा,
हम ही तो वो है जिन्होंने सिकन्दर के कदमो को रोका।
लव कुश की धरा पर जो राम के वंशज हुऐ है,
हम ही तो वो हैं जिन्होंने अभिमन्यु बन व्यूह साधा।
कुछ नामुमकिन नही मुमकिन यही है,
बस हुआ संभव असंभव कुछ नहीं,
हमने अगर लक्ष्य को अर्जुन बन गाण्डीव से साधा।
✍अरविन्द दाँगी “विकल”