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9 Sep 2017 · 1 min read

हमें जवाब चाहिए

आक्सीजन की कमी से दम तोड़ते मासूम
बाढ़ों के सैलाब में बहते बेबस नर नारी
ट्रेन हादसों में ढेर होती लाशें
शायद हैं सारे महज तमाशे
विद्यालयों में बालकों की निर्मम हत्याएँ
ढोंगियों द्वारा शोषित दुखित अबलाएं
किसी को नजर क्यों नहीं आ रहे हैं ?
क्या दोष था इन मासूमों का ?
क्यों सारे बड़बोले नेता चुप्पी लगा रहे हैं ?
सत्ता में जगह बनाने में
चुनाव में वोट कमाने में
हरदम जिनका दारोमदार है
जिसे जनता से न कोई सरोकार है।
जिन्हें चुना हमने
अपनी साज संभाल के लिए।
आज उन्हें फुर्सत तक नहीं
पूछने को लोगों के
जीने – मरने के हाल के लिए।
उनकी यह बेरुखी यह रवैया
हमको नहीं स्वीकार है।

—–रंजना माथुर दिनांक 09/09/2017
मेरी स्व रचित व मौलिक
©

Language: Hindi
679 Views
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