Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Jul 2016 · 1 min read

हमें कब तलक आजमाते रहोगे

हमें कब तलक आजमाते रहोगे
गिराते रहोगे उठाते रहोगे

बचाओगे कैसे मुहब्बत से दामन
अगर आप नज़रें मिलाते रहोगे

कि बेकार हो जायेगी सब दुआएँ
अगर दूसरों को सताते रहोगे

यक़ीनन अदावत ही बढ़ती रहेगी
समंदर जो खारा पिलाते रहोगे

मुआफ़ी न देगी कभी आदमीयत
जो हक़ दूसरों का दबाते रहोगे

किसी दिन ये कट जायेगा देख लेना
जो सर अपना यूँही झुकाते रहोगे

मुहब्बत की दौलत भी है ख़ूब ‘माही’
बढ़ेगी ये जितनी लुटाते रहोगे

माही

2 Comments · 244 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
फूल
फूल
Neeraj Agarwal
Dont loose your hope without doing nothing.
Dont loose your hope without doing nothing.
Sakshi Tripathi
कितना
कितना
Santosh Shrivastava
Augmented Reality: Unveiling its Transformative Prospects
Augmented Reality: Unveiling its Transformative Prospects
Shyam Sundar Subramanian
-- नफरत है तो है --
-- नफरत है तो है --
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
"पानी-पूरी"
Dr. Kishan tandon kranti
उसने कौन से जन्म का हिसाब चुकता किया है
उसने कौन से जन्म का हिसाब चुकता किया है
कवि दीपक बवेजा
करीब हो तुम मगर
करीब हो तुम मगर
Surinder blackpen
एक फूल....
एक फूल....
Awadhesh Kumar Singh
ये
ये "परवाह" शब्द वो संजीवनी बूटी है
शेखर सिंह
प्रेम
प्रेम
पंकज कुमार कर्ण
तुझे कैसे बताऊं तू कितना खाश है मेरे लिए
तुझे कैसे बताऊं तू कितना खाश है मेरे लिए
yuvraj gautam
कौन हो तुम
कौन हो तुम
DR ARUN KUMAR SHASTRI
शराब
शराब
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
गर सीरत की चाह हो तो लाना घर रिश्ता।
गर सीरत की चाह हो तो लाना घर रिश्ता।
Taj Mohammad
यहां नसीब में रोटी कभी तो दाल नहीं।
यहां नसीब में रोटी कभी तो दाल नहीं।
सत्य कुमार प्रेमी
पुनर्वास
पुनर्वास
Dr. Pradeep Kumar Sharma
सबसे कठिन है
सबसे कठिन है
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
यूँ ही ऐसा ही बने रहो, बिन कहे सब कुछ कहते रहो…
यूँ ही ऐसा ही बने रहो, बिन कहे सब कुछ कहते रहो…
Anand Kumar
*राममय हुई रामपुर रजा लाइब्रेरी*
*राममय हुई रामपुर रजा लाइब्रेरी*
Ravi Prakash
हम बच्चों की आई होली
हम बच्चों की आई होली
लक्ष्मी सिंह
खुशियां
खुशियां
N manglam
मैदान-ए-जंग में तेज तलवार है मुसलमान,
मैदान-ए-जंग में तेज तलवार है मुसलमान,
Sahil Ahmad
छल फरेब की बात, कभी भूले मत करना।
छल फरेब की बात, कभी भूले मत करना।
surenderpal vaidya
3279.*पूर्णिका*
3279.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
आज की बेटियां
आज की बेटियां
Shekhar Chandra Mitra
जीवन का जीवन
जीवन का जीवन
Dr fauzia Naseem shad
💐प्रेम कौतुक-492💐
💐प्रेम कौतुक-492💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
अपनी अपनी सोच
अपनी अपनी सोच
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
■सीखने योग्य■
■सीखने योग्य■
*Author प्रणय प्रभात*
Loading...