Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Nov 2019 · 2 min read

स्वयं पर एक दृष्टि

मानव का स्वभाव है कि उसका ध्यान सदा अन्य व्यक्तियों पर ही केंद्रित रहता है उनके पास कितना धन है क्या सुविधायें है उनका कैसा बाह्य रूप है उनका स्वभाव कैसा है उनके घर का वातावरण कैसा है क्या स्तर है वगैरह वगैरह । दूसरों की कमियों को उजागर करना और उनकी उपलब्धियों से ईर्ष्या करना बस इससे ही उनको सरोकार है , यदि इसके स्थान पर वे अपना पूरा ध्यान और समय स्वयं की कमियों और उपलब्धियों पर देना प्रारंभ कर दें तो इसके एक साथ कई फायदे हो सकते हैं जैसे कि –
1. वे अपनी खराब आदतो को कमियों को दूर कर सकते है ।
2 अपना कीमती समय अपने कार्यों को बेहतर बनाने में लगा सकते है ।इससे उनका अपना भी जीवन सफल बनेगा ।
3 अपने स्वास्थ्य को अच्छा बना सकते है , योग ध्यान आयुर्वेद से निरोगी काया और निर्मल मन का लाभ प्राप्त कर सकते है ।
4 अपना घर सजा सकते है और स्वयं को भी सुंदर बना सकते है
5 समय पर अपना सब कार्य कर सकते है सबके प्रति अपने बड़ों बच्चों और अन्य सदस्यों के प्रति कर्तव्यों का निर्वाह बखूबी कर सकते है ।अपने पड़ोसियों और रिश्तेदारों से अपने रिश्ते सुधार सकते है।
6 अपने घर के और बाहर के सभी कार्य बिना किसी का आश्रय लिए सम्पन्न कर सकते है
7 कुल मिलाकर अपना जीवन सुखद बना सकते है और अपने परिवार को सफलता की चोटी तक पहुंचा सकते है ।
यदि अपने लिए इतना कुछ हासिल कर सकते है तो व्यर्थ में ही दूसरों पर केंद्रित होकर अपना इतना नुकसान क्यों कर रहे है , अपना फायदा देखना तो मानव का स्वभाव है क्या ऐसा करके वे मूर्खता का परिचय नही दे रहे है , क्यों अपनी नीव को ही खोखला कर रहे है उस पागल की तरह जो उसी डाल को काटता है जिस पर बैठा हुआ है । अरे अब तो अपना लाभ कमाओ और स्वयं पर दृष्टि कायम रखो , वक्त बदल रहा है स्वयं को बदलो जो अब तक नही किया उसको अब आज से ही अपनी आदत बना लो , अपने धन कोष को भरने में अपना वक्त भले लगाओ लेकिन उसके अनुपात में अपने मन कोष को भी सोने चांदी तुल्य सदगुणो से भरपूर रखो उनका सदुपयोग करो अपना भाग्य चमकाओ और सुखचैन पाओ ।

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 525 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
3210.*पूर्णिका*
3210.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
भगवान सर्वव्यापी हैं ।
भगवान सर्वव्यापी हैं ।
ओनिका सेतिया 'अनु '
*बेचारी जर्सी 【कुंडलिया】*
*बेचारी जर्सी 【कुंडलिया】*
Ravi Prakash
डरो नहीं, लड़ो
डरो नहीं, लड़ो
Shekhar Chandra Mitra
कुछ काम करो , कुछ काम करो
कुछ काम करो , कुछ काम करो
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
हर किसी के पास एक जैसी ज़िंदगी की घड़ी है, फिर एक तो आराम से
हर किसी के पास एक जैसी ज़िंदगी की घड़ी है, फिर एक तो आराम से
पूर्वार्थ
*कड़वाहट केवल ज़ुबान का स्वाद ही नहीं बिगाड़ती है..... यह आव
*कड़वाहट केवल ज़ुबान का स्वाद ही नहीं बिगाड़ती है..... यह आव
Seema Verma
मुस्कुराते रहो
मुस्कुराते रहो
Basant Bhagawan Roy
साहित्य सृजन .....
साहित्य सृजन .....
Awadhesh Kumar Singh
धनवान -: माँ और मिट्टी
धनवान -: माँ और मिट्टी
Surya Barman
सर्वनाम के भेद
सर्वनाम के भेद
Neelam Sharma
आज जो कल ना रहेगा
आज जो कल ना रहेगा
Ramswaroop Dinkar
* जिन्दगी *
* जिन्दगी *
surenderpal vaidya
पुलवामा अटैक
पुलवामा अटैक
Surinder blackpen
तेवरीः शिल्प-गत विशेषताएं +रमेशराज
तेवरीः शिल्प-गत विशेषताएं +रमेशराज
कवि रमेशराज
ये जंग जो कर्बला में बादे रसूल थी
ये जंग जो कर्बला में बादे रसूल थी
shabina. Naaz
ग़ज़ल /
ग़ज़ल /
ईश्वर दयाल गोस्वामी
हम बेजान हैं।
हम बेजान हैं।
Taj Mohammad
परतंत्रता की नारी
परतंत्रता की नारी
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
ये  दुनियाँ है  बाबुल का घर
ये दुनियाँ है बाबुल का घर
Sushmita Singh
💐प्रेम कौतुक-280💐
💐प्रेम कौतुक-280💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
तेरी जुल्फों के साये में भी अब राहत नहीं मिलती।
तेरी जुल्फों के साये में भी अब राहत नहीं मिलती।
Phool gufran
"हकीकत"
Dr. Kishan tandon kranti
हिन्दी दोहा बिषय- न्याय
हिन्दी दोहा बिषय- न्याय
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
ग़म कड़वे पर हैं दवा, पीकर करो इलाज़।
ग़म कड़वे पर हैं दवा, पीकर करो इलाज़।
आर.एस. 'प्रीतम'
सच कहूं तो
सच कहूं तो
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
कौन गया किसको पता ,
कौन गया किसको पता ,
sushil sarna
😊■रोज़गार■😊
😊■रोज़गार■😊
*Author प्रणय प्रभात*
!! चुनौती !!
!! चुनौती !!
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
The life is too small to love you,
The life is too small to love you,
Sakshi Tripathi
Loading...