*”सुबह हुई न शाम”*
“सुबह हुई न शाम”
जीवन नैया पार करते हुए ,
कर्मपथ पे आगे बढ़ते चलते,
कुछ रुके कुछ अधूरे काम ,
कुछ पूरे हुए कुछ बेकाम।
सुबह हुई न शाम
सूर्य उदित हो जब ,
पँछी कलरव कर चहकते,
उड़ते हुए दाना पानी ढूढ़ते ,
गाय सुबह रंभाते हुए ,
इधर उधर घूमते रहते ,
सुबह से हो जाती है सांझ।
सुबह हुई न शाम
सुबह सबेरे दिनचर्या में लगे हुए,
नित्य प्रति पूजा अर्चना करते ,
जीवन लक्ष्य सफल बनाते ,
कर्म बंधन में बंधकर ही ,
नई दिशा नये सपने सजाते।
सुबह हुई न शाम
जप तप आराधना करते ,
कठिन परिश्रम साधना में तल्लीन हो,
अपनी मंजिल तय करते ,
इतना आसान नहीं ,
उच्च शिखर मंजिल को पा लेना।
सुबह हुई न शाम
सपनों की दुनिया में जब ,
हकीकत बयां हो घटना घटती ,
सपने समय पर पूरे हो जाते ,
दामन थाम खुशियों से भर जाते।
सुबह हुई न शाम
कभी कभी जी घबराता ,
अंर्तमन कुछ जब समझ न पाता ,
प्रभु दर्शन की आस जगाये,
झोली फैला अरदास लगाए,
निराश हो उदासीन हो जाता।
सुबह हुई न शाम
कठिन परिस्थितियों में ,
बुद्धि काम ना आये ,
कुछ पल एकांत बैठकर ,
अपने आप खुद को समझाते ,
सही गलत का निर्णय ले पाते।
सुबह हुई न शाम
सुबह से शाम काम ही काम ,
एक पल चैन नहीं आराम ,
कोई न कोई काम याद आ जाये ,
दिन निकला पता ही न चला ,
सुबह से इतनी जल्दी हो गई शाम।
सुबह हुई न शाम
?✨⚡??✨??
शशिकला व्यास✍️